आईवीएफ से जुड़े भ्रम
आईवीएफ एक विज्ञान का चमत्कार हैं जिसने कई निसंतान महिलाओ को मातृत्व का सुख दिया हैं! आईवीएफ से जन्मे बच्चो को ‘टेस्ट ट्यूब बेबी’ इस नाम से भी जाना जाता हैं। आईवीएफ के प्रक्रिया में महिला के अंडाणु और पुरुष के शुक्राणु का मिलन लैब में किया जाता हैं जिसे भ्रूण बनता हैं। भ्रूण बनने के बाद उसे महिला के गर्भाशय में प्रत्यारोपित किया जाता है। आईवीएफ प्रक्रिया अपनाने वाले दंपतियों में कई संशय और भ्रम रहते हैं ।
आइये ऐसे ही कुछ संशयो को दूर करते हैं !
भ्रम १: आईवीएफ 100% फीसदी सफल होता है|
आईवीएफ 100% सफल नहीं होता हैं | 35 साल से कम उम्र की महिलाओं में सक्सेस रेट 40% होता हैं| आईवीएफ की सफलता दर उम्र, निसंतानता का कारण और हार्मोनल स्थितियों जैसे कारणों पर निर्भर करती है।
भ्रम 2: आईवीएफ की वजह से मल्टिपल प्रेग्नेंसी होती हैं|
विशेष रूप से युवा महिलाओं में मल्टिपल प्रेग्नेंसी के किस्से देखे गए हैं | हालांकि स्थानांतरित भ्रूण की संख्या को कम करके, इस समस्या को कम किया जा सकता हैं | जितने कम भ्रूण होंगे उतना हि मल्टिपल प्रेग्नेंसी होने की संभावना कम होगी |
भ्रम 3: आईवीएफ से पैदा होने वाले बच्चों में बर्थ डिफेक्ट होता हैं|
आईवीएफ प्रक्रिया से जन्म लेने वाले बच्चे मानसिक और शारारिक रूप से सामान्य संतानों की तरह ही स्वस्थ होते हैं | इन में किसी भी प्रकार का बर्थ डिफेक्ट नहीं होता हैं| नागपुर के एक आईवीएफ संस्थान “वेदांशा हॉस्पिटल” में कही नि:संतान दंपत्तियों को आईवीएफ प्रक्रिया से संतान का सुख मिला हैं। यहाँ अब तक जन्मे संतानो में किसी भी प्रकार की कोई परेशानी नहीं दर्ज की गयी हैं
अगर आप भी संतान का सुख पाने के लिए की आईवीएफ प्रक्रिया अपनाने का विचार करे हो और आपके मन में किसी भी प्रकार का भ्रम हैं तो हमारे फर्टिलिटी एक्सपर्ट्स से बात करे |
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